शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

!! साँझ !!

जाने का है गम फिर भी
देखो सूरज रंग बिखेरे कैसे
बादल आकाश पेड़ सब
साथ खड़े हो गए हैं जैसे।

मिलकर सब सजा रहे
रंगों का एक अद्भूत चित्र
मिलन जुदाई हर पल ही
मिलजुल कर रहते ये मित्र।

अपने-अपने हिस्से मिला
ये मनोरम छटा बना रहे हैं
कैसे मिलाए अपने-अपने रंग
शायद ये हमें समझा रहे हैं।

हर किसी के पास एक रंग
जीवन है एक बड़ा कैनवास
भर दे एक -दूजे में रंग ऐसे
कोई न रहे एकाकी उदास।

ये साँझ हमें समझा रही
जाने से पहले रंग बिखेर ले
रात के आने के पहले अपने
सूने कैनवास पे चित्र उकेर ले।

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