बुधवार, 21 मार्च 2018

कवि बनने के कारण

दिल के कोने का कोई तार 
भावनाओं का सुंदर चालक हो 
उमर की सीमा से उठकर 
रहता मन में सदा एक बालक हो।

पीड़ा से दुःख पहुँचे मन को 
चाहे वो अपनी हो या परायी 
छिछला-छिछला न हो कुछ भी 
शब्दों में हो मन की गहराई।

सुख-दुःख के स्पंदन से 
फूट पड़े शब्द सहज 
हर्ष विषाद का उद्घाटन है  
नहीं शब्दों की तुकबंदी महज़।

साफ़ सुथरे निर्मल जल का सरोवर 
होता है ऐसा ही एक कवि का हृदय 
सुख-दुःख की कंकड़ी पड़ती उसपे 
तरंगों की तरह हो कविता का उदय।

जीवन के द्वंद्व भले ही 
कविता के कारण बनते 
पर कवि हृदय भी तो 
हर किसी कहाँ ही मिलते।

ये मन, बुद्धि, शब्दों का चयन 
वागेश्वरी की कृपा अकारण 
वरना किसके पास नहीं है यहाँ 
कवि बनने के जज़्बाती कारण।


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