थम चुकी थी बारिश
हवा भी धीरे-धीरे
चलने लगी थी.
पर पानी की कुछ बूँदे
अब भी खिड़की के
शीशे पे अटकी थी.
कोई भी हवा का झोंका
उसे किसी भी पल
मिटा सकता है.
फिर भी वो अपने
पूरे सौन्दर्य के साथ
बचे पलों जी रहा है.
कुछ फिसलती बूँदें
सामने विस्तृत आकाश
बड़ी सुन्दर लग रही थी झाँकी.
एक बयार-सी आयी
मिटा दिया उसका वजूद पर
मेरी आँखों रह गई बूँदें बाकी.
हमारा जीवन भी तो
शीशे पे लटके बूँद की भांति है
समय को कोई झोंका उसे मिटा देगा.
कोई पल हमारा भी तो
मुकम्मल कर दिया गया होगा
जो हमें हमेशा की नींद में सुला देगा.
पर जितनी भी मिली है
उसी जिन्दगी को गर
हम उस बूँद की तरह जी ले.
उस बेजान ने जीया पलों को
हम भी जीवन को मर मरकर नही
जीवन की तरह जी ले.
थोड़ी मिठास बाँटे
थोड़ी कड़वाहट पी ले
अच्छाइयों से दिलो में जो जगह बन जाएगा.
फिर समय झोंका आये या
आ जाए मौत का तूफ़ान
उसे उन दिलों से मिटा नही पायेगा
यही तो है कुछ चीजें
जो साथ भी जाता है
और यहाँ भी रह जाता है.
इन्ही सौन्दर्य की वजह से
किसी बूँद का किसी आँख में
घर बन जाता है.
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