बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

!! शब्द मेरे सदा ही करे तेरा गान !!



करुण नेत्र, दिव्य ललाट
वत्सलता से पूरित हृदय विशाल
स्वर्णिम आभा, मधुर मुस्कान
हाथों में वीणा, वेद और माल।

श्वेत वस्त्र, श्वेत चित्त
कमल आसन पर विराजमान
सृष्टि में फूँके नवजीवन
निकले जब वीणा से तान ।

गायन, वादन, लेखन, शिल्प
हर कला की अधिष्ठात्री
अविद्या के तम से तारनेवाली
समस्त विद्याओं की दात्री।

हंसवाहिनी मात सरस्वती
चरणकमल में करूँ प्रणाम
नित सेवा में करो संलग्न
शब्द मेरे सदा करे तेरा गान।

0 टिपण्णी -आपके विचार !: