बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

!! वागेश्वरी के चरणकमल में झुका शीश हम करें नमन !!


वागेश्वरी के चरणकमल में
झुका शीश हम करें नमन
विद्या और कला की देवी
कर   दे   शुद्ध अंतःकरण।

यूँ तो हरदिन ही हम बच्चे
तेरी आराधना किया करते
विशेष दिन पर विशेष प्रेम से
कर दे कृतार्थ हे माँ शारदे।

विवेक हो आपके वाहन-सा
नीर-क्षीर का निर्णय कर पाए
ग़लत-सही के गुत्थम-गुथ में
सही को समय पर समझ जाए।

वाणी में करुणा हो हमारी
मन में क्लेश का न हो स्थान
अपनी वीणा की रागिनी से
निर्मल हो सबका मन-प्राण।

विचार हमारे निश्चल हो ऐसे
कि मन करे सुबुद्धि का मनन
सच से समझौता किए बिना
करें सदा श्रेष्ठ का ही चिंतन।

विद्या के संग विनय भी आए
ऐसा तो ज़रूर कर देना माँ
सिर चढ़कर न बोले शब्द
कलम तक ही रहने देना माँ।

सहज-सरल हो हमारी वाणी
पर सस्ती से सदा बचाना माँ
रखा है शीश चरणों में तुम्हारी
उसे सदबुद्धि से भर जाना माँ।




0 टिपण्णी -आपके विचार !: