रविवार, 24 सितंबर 2017

!! कन्या पूजन !!

कोख में हत्या, बाहर शोषण 
गली, मुहल्ला कुछ न छूटा है 
घर के भीतर, घर के बाहर 
जिसे जहाँ मिला वहाँ लूटा है।

कभी अस्मिता,कभी आत्म-सम्मान 
तारतार कर जाते हैं 
कभी डराकर, कभी उठाकर 
कभी तेजाब से मिटा जाते हैं।

पूरे साल नोंच खसोट, 
हाथपाई दोषारोपण 
और बस नौ दिनों के लिए 
कन्या भोज, कन्या पूजन।

न खिलाओ हमें भोज 
बस अपना भोजन कमाने लायक बनने दो 
न बनाओ हमें देवी 
हमें भी इंसानों की तरह जीने और मरने दो।

पैरों को हमारे मत धोओ 
बस गले से हमें लगा लो
और अधिक दुआएँ मिलेंगी 
सदा के लिए कन्या बना लो।

तुम्हारे सामने कोई हमें छेड़े 
नजर उठाए, नियत उठाए 
तुम नजर बचा निकल न पाए 
वही  कन्या पूजन हो जाए।

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