रविवार, 25 फ़रवरी 2018

!! बीतकर भी बीते नहीं है ये पल !!

बुढ़िया कबड्डी
पो संपा
छुपन छुपाई
और धप्पा ।

राजा, मंत्री
चोर,सिपाही
कैरम,लूडो की
मार पिटाई ।

मोड़ पे खड़े हो
घंटो बतियाना
सहेली को छोड़ने
घर तक जाना ।

रंगीन अख़बार की
संडे वाली रेसिपी
इंडिया टुडे पीछे से
पढ़ने की जल्दी ।

पेड़ पे झूला
बैठकी पुआल पे
हाथ पे छड़ी
चपत गाल पे।

गरमी में गाजर
सर्दी में गन्ना
गुड की खूशबू
आम का पन्ना ।

नमक संग अमिया
अख़बार में अचार
पेड़ों वाली जलेबी
न नगद,न उधार ।

निम्बू की महक
जामुन के रंग
लीची और अमरूद
की चोरी का हुरदंग।

सर्दी का अलाव
गरमी की शाम
आम की बगिया
नीम का छांव ।

दादी की कहानी
नानी की चिट्ठी
बेल का शरबत
अंगीठी की लिट्टी।

दीया बाती और
मोमबत्ती वाले दिन
काम नहीं चलता
लालटेन के बिन।

बत्ती का जाना
हमारा सो जाना
माँ का उठाना
नींद में खिलाना ।

बीतकर भी बीते
नहीं है ये पल
'आज' ही है लगते
ये बीते हुए 'कल'।





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