भोर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
भोर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2017

!! भोर !!


आसमा में चंद तारे अभी भी थे
कालिमा भी थी अभी चारों ओर
चाँद थोड़ा-थोड़ा मंद हो रहा था
नूतन की प्रतीक्षा थी  हर ओर।

हवा में भी ताजगी आ गयी थी
पेड़ रहे थे एक-दूजे को झकझोर
चिड़ियाँ चलने लगी झुंड बना
मचा रही थी वो संगीत-सा शोर।

सहसा प्राची में दिखी लालिमा
निकली जो कालिमा को तोड़
अब चाँद बिल्कुल मंद हो गया
तारे भी भाग चले आसमा छोड़

गुलाबी पीले रंग में पट गया
आसमा,जमीं,मन का हर कोर
फिर से सुंदरता भरने जीवन में
इक नया दिन लेकर आया भोर।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

!! भोर !!

जीवन के दुखद क्षणों के बाद
सबको होता भोर का इंतज़ार
भोर जो जीवन में भरे रोशनी
भोर जो जीवन से कराए प्यार।

निराशाओं की रात के पीछे
आशा का सूरज छुपा होता है
थोड़ा धैर्य थोड़ी-सी प्रतीक्षा
समय से ही सूरज निकलता है।

कभी कभी रात के बाद भी
सुबह में बादल उसे घेर लेता
सूरज की रोशनियों को वो
हम तक पहुँचने नही है देता।

कितना भी घना हो बादल
सूरज की भनक पड़ ही जाती
बादल की कालिमा कभी भी
सूरज की रोशनी रोक न पाती।

काले बादलों के पीछे से
सूरज की रोशनी फूट रही है
वो काली-सी दीवार कैसे
धीरे-धीरे कर टूट रही है।