सड़कों पर पसरा सन्नाटा
घर में ख़त्म है आटा
शायद प्रकृति लौटा रही
अब तक जो था बाँटा
अनियंत्रित हो जाए जब हम
कर न पाए ख्वाहिशें कम
अपनी दुनिया में ही जब
घुटन से निकलने लगे दम
तब कमान संभालती प्रकृति
हाथ में ले लेती वो नियति
सब खंगाले सब संभाले
रखती न,फिर वापस कर देती
ये बीमारी ये भीषण लाचारी
दुनिया में फैली ये महामारी
हमारे खुद के किए ये कांड
हमारी खुद की ही ज़िम्मेदारी
हवा पानी जल कुछ न छोड़ा
हद से अधिक है उसे निचोड़ा
कुछ की काली करतूतों ने
आज मानवता तक को तोड़ा
लौटा देगी दुनिया वापस
प्रकृति करके उसे फिर साफ़
वो तो माँ है दरियादिल है
पर कैसे करेंगे खुद को माफ़
माफ़ी इस अराजकता की
माफ़ी मौन हुई मानवता की
माफ़ी भूखे गरीब बच्चे औरत
सड़क पर आयी सारी जनता की