गुरुवार, 26 जनवरी 2017

!! तीन रंगों से मिल बुना है जाने कैसा ये तानाबाना !!


तीन रंगों से मिल बुना है
जाने कैसा ये  तानाबाना।
रिश्ता है कुछ ऐसा जिसे
दिल चाहे सदा निभाना।।

एक अलग-सा अहसास
दिल को दिलाते हैं ये रंग।
मन हो जाता गीला-गीला
फिर भी भरा होता उमंग।।

ये रंग जब ऊँचे आसमां में
लहरों की तरह लहराये।
एक बयार उससे होकर
मन को गहरे तक छू जाये।।

प्यार कहें या गर्व कह लें
पर बड़ा अपना-सा अहसास।
लेकर अपने तिरंगे को हाथ
सच में लगता था कुछ ख़ास।।

आँखों में तस्वीरों की तरह
और मन में बन अमिट याद।
पूरब से संग-संग लेकर आयी
पश्चिम में ये अनुपम सौग़ात।।


देश से दूर बैठकर कभी-कभी
सच में ही होता है बड़ा ग़म।
देश मना रहा है गणतंत्र वहाँ
पच्चीस जनवरी में ही होते हम।।

असामान है फैला दूर तलक
पर तीन रंगों के बिना सूना-सा।
दिल में इतनी चहल-पहल है
पर बाहर दिन एक आमदिन-सा।।

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