रविवार, 12 मार्च 2017

!! मन फागुन हो जाए !!


ऐसे खेले अबकी होली
कि मन फागुन हो जाए
गालों से रंग भले ही छूटे
पर मन से न धूल पाए।

तन से धूले लाल, गुलाबी
पर मन पे प्रेम रंग चढ़ा रहे
मन में कोई कड़वाहट न हो
न ही ज़ुबा कड़वी बात कहे।

जिन गालों पर रंग लगाए
जिन-जिन से आज गले मिले
डोर प्रेम की जुड़ी रहे उनसे
चाहे आए कितने शिकवे-गिले।




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