बुधवार, 8 मार्च 2017

!! हर नारी को नमन है !!


एक वो रचता है
एक तू रचती है
वो परम पिता है
तू नारी शक्ति है।

सृजन करती है
पालन करती है
अति होने पे वो विध्वंस करता है
पर तू तब भी सहती है।

माँ, बहन, बेटी से इतर
तू परिवार की ताक़त है
हर दुःख के ताप को बस
तू ही छांव में बदल सकती है।

तू ही भूखे रहकर भी
सबका पेट भर सकती है
नारी बस तू ही है जो
दाँत काटने वाले को भी दूध देती है।

न तू कभी छुट्टी लेती है
न ही तू रिटायर होती है
तू कभी थकती ही नही
कभी-कभी तू उपरवाले की तरह लगती है।

तू आँगन बुहारती है
तू बच्चे सम्भालती है
तू मिसाइल उड़ाती है
और तू ही पति की घौंस भी खाती है।

तेरे भी अवतार होते है क्या
तू इतने काम कैसे कर लेती है
इतना दबाया जाता है तुम्हें
फिर भी हवाई जहाज़ तक ले उड़ती है।

बधाइयाँ, शुभकामनाएँ क्या दूँ
बस नमन है हर नारी को

बर्तन धोनेवाली, खाना देनेवाली
कपड़े पहनाने वाली, कहानी सुननेवाली
सपने दिखानेवाली, उन्हें पूरा करानेवाली
लिखना-पढ़ना सिखाने वाली
जीवन में जीवन भरनेवाली
हर नारी को नमन है।

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