शनिवार, 28 नवंबर 2020

ये कौन-सी भाषा है?

 




 

आजकल अक्सर लोग पूछते हैं कि ये जो तुम्हारा विडीओ होता है उसमें कौन-सी भाषा है? इस सवाल पूछने से कोई परेशानी भी नहीं है। अब मेरे सामने भी कोई किसी और प्रांत की क्षेत्रीय भाषा में बोले तो मैं भी अधिकांशतया शून्य ही होती हूँ।

 

लेकिन कभी कभी परेशानी होती है। होती है प्रश्न पूछने के लहजे से, प्रश्न के साथ आए उपेक्षा से, उपहास से। ये पता है कि ये बिहार से है। ओ बिहारी भाषा है? ठहरो भाई साहब बहन जी बिहारी कोई भाषा नहीं है। एक तो इन सिनेमावालों ने हमारे क्षेत्रीय भाषाओं की ऐसी खिचड़ी बना के पेश कि है लोगों के सामने। मतलब कोई मुँह में पान भर ले बिना कारण कहीं भी हम हम लगा के थोड़ा भोजपुरी लहजा ले ले बस हो गया।

 

अमेरिका में जाकर पच्चीस साल जीभ का शीर्षासन कराने के बाद भी अंग्रेज़ी बोलने पर समझ में आ जाता है कि ये मूल अमेरिकी बोलने बाला नहीं है। जबकि सारी दुनिया ही अंग्रेज़ी में साँस लेके को आतुर है तब ये हाल है। फिर कोई मुंबई के महल में रहनेवाला दू दिन में हमारी क्षेत्रीय भाषा कैसे आत्मसात कर लेगा। फिर ऐसे में निकलता है बिहारी भाषा। मुंबइया फ़िल्मों की दें।

 

बिहार में अनेको मीठी लोक भाषाएँ हैं। सबका अलग मिज़ाज है अलग मस्ती है। हर भाषा में लोक गीत है। बहुत समृद्ध सक्षम भाषाएँ हैं। मेरी भाषा भी उन्ही सबमें से एक है बज्जिका। मिथिला में बोली जाती है। सहज सरल मिठास से भरी भाषा। मेरे गाँव की भाषा। मेरे शहर की भाषा। मेरे अंचल की भाषा। मेरे यादों की भाषा। मेरे बचपन की भाषा। मेरी पहली भाषा। मेरी वास्तविक मातृभाषा।

 

हाँ तो लोग जब जानने के लिए उत्सुकता वश पूछते हैं तो मैंने भी शिष्टाचार से बता देती हूँ। लेकिन जब लहजे से उपहास की गंध आए तो मेरा जवाब भी सीधा कहाँ रहता?

 

ये कौन-सी भाषा बोलती हो तुम?

 

ये भगवान राम के ससुराल की भाषा है।

ये वो भाषा है जिसमें मर्यादा पुरूषोत्तम को उनके सामने प्यार से मीठी गाली दी जाती है।

 

ये वो भाषा है जिसमें दशरथ महाराज से ठिठोली की जाती है।

 

ये वो भाषा है जिसमें सीता राम के अनगिनत पद गीत आज भी मिथिला में हर रामनवमी हर जानकी नवमी हर विवाहपंचमी को गाए जाते हैं।

 

सच कहे तो हरदिन ही कहीं न कहीं कोई न कोई प्रेम से इस भाषा में भगवान के लिए कुछ न कुछ गा ही रहा होता है।

 

रामजन्म पर जहाँ इसी भाषा में बधाई होती है वहीं विवाह पंचमी के अवसर पर एक से एक ठिठोली के गीत।

 

सोचकर ही गर्व रोमांच से मन गदगद हो जाता है कि अरे इसी भाषा में भगवान के सामने मिथिला की स्त्रियों उन्हें मीठी गाली दी थी। वेद से जिनकी स्तुति होती है वे भगवान हमारे मिथिला के पहुना है और मिथिला की लोक भाषा में लोक गीतों से उनका सत्कार होता है।

 

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम का चरित्र देखे तो उनके समूचे चरित्र में सबसे ज़्यादा रसमय प्रसंग है हास परिहास की दृष्टि से तो वो विवाह के समय मिथिला में ही है।

 

तो मेरी ये भाषा सृष्टि के स्वामी के ससुराल की भाषा है।  

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