रविवार, 8 अप्रैल 2018
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जीवन के सफर में कभी साथ किसी के तो कभी अकेले अपने मन की कलम में शब्दों की स्याही भर जज्बातों की पंक्तियाँ लिखते-लिखते कभी वो कविता बन जाते तो कभी कहानी पर मेरा दिल जानता है कि मेरे शब्द सिर्फ शब्द नही मेरा वजूद है.वही है जो मै हूँ.
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