गगन को छूती आतिशबाज़ियाँ
रंग भर रहीं हैं देखो काली रात में
जमी से उड़ा रहे सैकड़ों सितारे
दे रहें आसमा को हम सौगात में।
हमारे नन्हें मुन्ने चाँद तारे जमीं के
ठान बैठे हैं अंधेरों से लड़ाई आज
हम भी उजाला करके ही मानेंगे
तुम अगर अंधेरे से न आए बाज ।
अमावस की काली रात भी आखिर
जगमगा गयी आज रंगो से नहा गयी
आज आसमान से चाँदनी नही उतरी
आज तो जमी ही रोशनी बहा गयी।
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