बुधवार, 24 जनवरी 2018

!! लेकर संग ताजगी देखो आया है ऋतुराज बसंत !!


मख़मली हो गयी सर्दी
गुनगुनाने लगी है धूप
बदल रही देखो प्रकृति
कितनी सुंदरता से रूप।

नयी कोपलें, नए रंग
हवा का भी बदला ढंग
उदासी छँटने लगी है
उमड़ने लगा है उमंग।

गुलाल पहुँच गए हैं
देखो कैसे गालों तक
ख़ुशबू पहुँचा रही है
बयार उनके बालों तक।

कोयल की कूक गूंजेगी
पेड़ों पे भी मंज़र महकेंगे
खेतों में सरसों की चादर
सबके ही मन को मोहेंगे।

धुँध,कोहरा और अँधेरा
हो गया सबका अब अंत
लेकर संग ताजगी देखो
आया है ऋतुराज बसंत।

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