हमारे तुम्हारे बीच
कहाँ ये सात समंदर
तुझे रखते हैं वतन
हम अपने ही अंदर।
अपनी बोली, अपनी भाषा
सब शान सलामत है
कुछ दूरी भी है तो क्या
दिल में हिंदुस्तान सलामत है।
हाथों में नहीं तिरंगा यहाँ पर
मन केसरिया हो जाता है
झूम उठते हैं जज़्बात और
लब जन गण मन गाता है।
हम देश से बाहर हैं तो क्या
देश हम में से बाहर न हो कभी
देश मना रहा गणतंत्र वहाँ
दिल झूम रहा है यहाँ अभी।
कहाँ ये सात समंदर
तुझे रखते हैं वतन
हम अपने ही अंदर।
अपनी बोली, अपनी भाषा
सब शान सलामत है
कुछ दूरी भी है तो क्या
दिल में हिंदुस्तान सलामत है।
हाथों में नहीं तिरंगा यहाँ पर
मन केसरिया हो जाता है
झूम उठते हैं जज़्बात और
लब जन गण मन गाता है।
हम देश से बाहर हैं तो क्या
देश हम में से बाहर न हो कभी
देश मना रहा गणतंत्र वहाँ
दिल झूम रहा है यहाँ अभी।
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