ये खिलखिलाती
गुनगुनाती
मुस्कुराती
बेटियाँ
ज़िंदगी में ज़िंदगी को फिर से लाती बेटियाँ।
नृत्य-सी, संगीत-सी
जीवन में गीत-सी
पुण्य पावन प्रीत-सी
संस्कृति-सी, रीत-सी
ताज़ा खिले गुलाब सी मन को भाती बेटियाँ
अमल अमोल रत्न ये
सत्य हुआ स्वप्न ये
सृष्टि की सुंदरम कृति
विधाता का प्रयत्न ये
सपनों के पतंग में है डोरी लगाती बेटियाँ
आसमान से होड़ किए
आँखों में नव भोर लिए
पंखों को अब खोल कर
बंधनों को तोड़ कर
घोसलों को छोड़ अब उड़ान को जाती बेटियाँ
लता से अब पौध बनती
सूरज को है निहार रही
जड़ो को रख ज़मीन
आसमान को दुलार रही
सपनों को ज़िद बना पहचान बनाती बेटियाँ
शहद-सी हँसी
बाँटे ख़ुशी
मासूम आँखें
अंदर तक झांकें
भोलेपन से सबके मन को सहलाती बेटियाँ
ये झिलमिलाती
लहलहाती
हँसती गाती
मन चुराती
रूठी रूठी ज़िंदगी को गुदगुदाती बेटियाँ
ये खिलखिलाती
गुनगुनाती
मुस्कुराती
बेटियाँ
ज़िंदगी में ज़िंदगी को फिर से लाती बेटियाँ।
0 टिपण्णी -आपके विचार !:
एक टिप्पणी भेजें