धीमी आँच पे पकता दूध
मोटी परत जमी मलाई की
धीमे-धीमे से उबलता दूध।
माँ की नज़र बचा कोने में
बैठी थी मौसी घात लगाए
लपलपा रही जीभ उसकी
माँ पे थी वो आँख टिकाए।
दादी ने आवाज़ लगाई
माँ बोली हाँ अभी आयी
मौसी ने न देर लगाई
चट से चट गयी सारी मलाई।
माँ जब वापस आयी
मुझपे वो चिल्लायी
क्या बिल्ली थी आयी
जिसने खायी मलाई।
मैंने हाँ में गर्दन हिलाया
माँ ने दो थप्पड़ लगाया
तूने उसे क्यों न भगाया
कितनी बार तुझे समझाया।
माँ बहन है तेरी,मौसी मेरी
भला मैं कैसे उसे भगाता
मामा को भगाने जैसे ही
इसबार भी थप्पड़ खाता।
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