रविवार, 22 अप्रैल 2018

!! धरती माँ !!


पृथ्वी,अग्नि,जल,वायु,आकाश
पाँच तत्त्वों से मिल बने हम सब
होती पृथ्वी की मात्रा सर्वाधिक
गढ़ा जाता है ये मानव तन  जब।

जीते जी भी होती अंदर व बाहर
मरने के बाद भी ख़ुद में समा लेती
ऐसी माँ है ये धरती जो बच्चों को
जन्म से ले मरण तक है संभालती ।

धारण करती,फल-फूल खाद्य देती
देती है जीवन का हमें हर एक प्रश्रय
अवलंबन है ये आधार है जीवन का
धरती प्राणीमात्र का सर्वोत्तम आश्रय।

माँ का दिया कभी चुक नहीं सकता
पर ममता को तो हम दुलरा सकते हैं
जो दिया वैसा लौटा नहीं सकते पर
उस प्रेम का आभार तो जता सकते हैं।

पेड़-पौधे,खेत-खलिहान,पहाड़,नदियाँ
माँ धरती के शृंगार के सूचक है सब
हरियाली,ख़ुशहाली,कलकल पानी
होता हर ओर धरा प्रसन्न होती जब।

प्रकृति से छेड़छाड़ इसका विदोहन
हाँ धरती इससे कभी प्रसन्न न होती
पर जब-जब पैर पड़े पापी के इसपे
ये धरती सबसे अधिक तब है रोती।

जिनका मन निर्मल,निश्छल है होता
उसे उठा धरती ममता का आनंद पाए
स्वयं को इंसान बनाए रखे हम और
हम भी धरती माँ को थोड़ा दुलराए।



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