गुरुवार, 31 मई 2018

!! हाँ,हमने देखा है ....!!

हाँ देखा है हमने
गायों को लौट के घर आते
हाँ देखा है हमने
किसानों को बैल से हल चलाते

हाँ देखा है ठंडा-ठंडा पानी
चापाकल से निकलते
हाँ देखा है बुढ़ापा
बचपन के कंधे संभलते

गलियों में भागते बच्चे
पेड़ों पे आम कच्चे
लोग होते थे मन के सच्चे
हाँ हमने देखे हैं दिन अच्छे

माँओं से पिटते बच्चे
माँ को डाँटती नानी
हाँ हमने देखा है
तालाब औ कुएँ का पानी

सफ़ेद झाग वाला ताजा दूध
बिना फ्रीज के ताजा खाना
हमने देखा है भरी दुपहरी
नीम की छांव में सुस्ताना

आँख झुका बड़ों से बतियाना
मिट्टी सने बच्चे गोद उठाना
बिना बताए लोगों का आना
हाँ,देखा है हमने ये ज़माना

इसी सदी बात है ये सब
बस कुछ दशक पीछे
हाँ हमने देखा है ख़ुद को
धीरे-धीरे आते नीचे 

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