दौड़ी वो लेकर देश का मान
रूकी तो सुरक्षित था सम्मान
डाल दी अपनी सारी जान
बन गयी देश का स्वाभिमान
लेकर अपने कंधे पर तिरंगा
कोमल कंधों ने लहरा दिया
माँ की एक बेटी ने फिर से
जग में परचम फहरा दिया
बेटी के कारण जग सारा
कर रहा था माँ का अभिनंदन
जन गण मन पे भीगी आँखें
कर रहे थे सब वतन का वंदन
विश्वपटल पे फिर लहराया
माँ का सुंदर धानी परिधान
एक बेटी ने फिर से बताया
कितना बुलंद है हिंदुस्तान
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