मौसम में नमी,मन में बहार
तन मन पे है सोलह शृंगार
प्रिय के प्रति है प्रेम अपार
त्योहार ये उसी का उदगार
है जो उसके समूचे संसार
जिनके प्रेम पे है अधिकार
जिनके लिए आयी छोड़
बाबुल का अपना घरबार
उसी प्रियतम के लिए आज
कर रही शिवप्रिया का आभार
प्रिय की सलामती के लिए
मना रही है तीज का त्योहार
प्रेम परवाह ही व्रत का सार
विश्वास श्रद्धा इसका आधार
सावित्री जो ठान ले मन में
यमराज भी उससे जाते हार
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