शुक्रवार, 7 जून 2019

!! आसूँ नहीं सूखी हैं आँखें शर्म से छोड़ दिया बहना !!


है हताशा निराशा लानत
बेबसी व मन का कचोटना
हिम्मत नहीं पढ़े पूरी ख़बर
मन नहीं बंद करता टोकना

आसूँ नहीं सूखी हैं आँखें
शर्म से छोड़ दिया बहना
खलता अब बहुत ज़्यादा
हैवानों को यूँ ज़िंदा रहना

हैवानियत दरिंदगी से भी नीचे
गिद्ध की तरह बच्ची को नोंचना
बस अपराधी की ग़लती है क्या
क्या हमको नहीं चाहिए सोचना

कितने दरिंदें छूट गए यूँ ही
तभी तो नहीं सीखा संभलना
अब काट दो हाथ पहले कि
पहुँचे ये हमारे घर के पलना

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