सनातनी होने पे शर्मिंदा होना
हर साधु को आसाराम और
हर संत को रामरहीम कहना
बिन पढ़े वेदों की निंदा और
पुराणों को काल्पनिक बताना
गीता रामायण की गूढ़ बातें
फूहड़ता से हल्का कर जाना
अर्चन पूजन को ढोंग बता
राम कृष्ण का मजाक उड़ाना
ढूँढ ढूँढ विरोधाभाषी बातें
निश्छल मनों को बड़गलाना
मनमर्जी से कुछ भी समझाना
बिन सिर पैर का आरोप लगाना
जो लिखा ही नहीं उसे भी पढ़ाना
मंत्रों तक का भी रिमिक्स बनाना
ये छद्म धर्मनिरपेक्षता भीष्म की
चुप्पी कुंठा विवशता न बन जाय
और हमारे सामने हमारी संस्कृति
रोटी बिलखती टूटती रहे असहाय
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