टीवी पे रामायण चले
और सड़क पर साधु मारा जाए
इससे साफ़ इससे सटीक
कलयुग और क्या रूप दिखाए
पुलिस खड़ी है सामने
मार दिया निहत्था साधु लहू लपेटे
चिंता की कोई बात नहीं
साधुओं के न होंगे आंतकवादी बेटे
साधुओं का कोई अधिकार नहीं
उनके लिए कहाँ मानव आयोग
उनके लिए न जलेगी मोमबत्ती
न ही होगा अदालत का प्रयोग
हिंदुस्तान में साधु मार दिया
सरेआम दिन दहाड़े बिना डरे
वोट भी देता था कि नहीं तो
उसके लिए कोई क्यों लड़े
ये महामारी ये डर औ दहशत
हमारे कर्मों का ही संताप है
हर आम इंसान की तरह ही
साधु को मारना भी पाप है
कोई थूके बाँटता फिरे मौत
पत्थर से कर दे बेहाल इंसानियत
फिर उसके साथ खड़ी भीड़
ज़रा खुद ही देख लो अपनी नियत
इतनी दिक़्क़त भगवा रंग से
इतनी नफ़रत साधु संत से
इनके सिर जो घृणा का भूत
झड़वा दो यूपी वाले महंत से
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