मेरी पहचान, मेरी जबान
स्वयं को जताने का जरिया
खुद को समझाने का
दूसरों को समझने का नजरिया
नदी की रफ़्तार की तरह
मेरी जीवन की गति हिंदी है।
सोचना,गाना, लड़ना, झड़गना
निंदा, स्तुति सब उसी में करना
बंद आँखों के सपने उसी में
खुली आँखों के ख़्वाब उसी में बुनना
बोलचाल की भाषा भर नहीं
हमारे तो जज्बात भी हिंदी है।
दुखी मन की फरियाद भी उसी में
खुशी का उल्लास भी उसी में
शोक-हर्ष से परे दिल की जबान
'वाह' भी उसी में,'काश' भी उसी में
कागज से पहले मन के पन्नों पर
जो भावनाएँ उतरती है वो हिंदी है।
जो माँ से संवाद करवाती है
उनकी हम तक, हमारी उन तक पहुँचाती है
माँ की तरह ही मीठी, सच्ची
हर पल जो दुलारती है
भाषा भर नहीं हिंदी हमारे लिए
हमारा तो वजूद ही हिंदी है।
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