गुरुवार, 22 मार्च 2018

!! कविता !!

कविता मन को सींच सकती है
कविता जोश को भींच सकती है
कविता दलदल से खींच सकती है
कविता गूँगों के लिए चीख सकती है।




आदि कवि वाल्मीकि की कविता
जाने कितने इंसान बदल डाले
सूर दास की श्यामल कविता ने
कितनों को श्याम रंग में रंग डाले ।


मीरा की कविता में बहकर
जाने कितने पहुँचे प्रभु चरण
कबीर के निर्भीक कवित ने
सुधारा कितनों का आचरण।


कविता झरे तुलसी मुख से तो
वो मन प्राण बदल सकती है
कविता जब निकले गीता बन
तो वो इंसान बदल सकती है।

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