बुधवार, 11 अप्रैल 2018

!! ये भटके लोग !!

“भाई साहब, ये पता बताएँगे”

“अरे भाई आप तो बहुत दूर निकल आए।”

“अच्छा”

तभी उसके साथी भी वहाँ आ गए।

एक ने पूछा,”क्या हुआ कुछ पता चला”

“हाँ भाई, हमें काफ़ी पीछे मुड़ जाना था पर आगे आ गए।”

“आपको पहले किसी से पूछ लेना चाहिए था। खामखां समय भी बर्बाद हुआ और परेशानी अलग।”

मुझे उनकी चिंता हो रही थी।


“समय बर्बाद क्या हुआ? मोड़ पकड़ लेते तब भी समय बीतना ही था,छूट गया तब भी बीता। उस ग़लती की अफ़सोस में ऊपरवाले ने सफर के जो ये चंद घंटे एक्स्ट्रा दिए हैं उसे क्यों बर्बाद करें। अब गाड़ी मोड़ लेते हैं फिर अपना मोड़ आ जाएगा।”

मुझे शुक्रिया कहते मस्ती में उन्होंने गाड़ी वापस मोड़ ली।

ज़िंदगी के कितने सही रस्ते पे थे न ये भटके लोग।



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